know screening tool for asthma in children developed in a research.जानें बच्चों में अस्थमा के कारणों का पता लगाने वाली टूल रिसर्च में विकसित की गयी है।

छोटे बच्चों को सबसे अधिक जो स्वास्थ्य समस्या परेशान करती है, वह है अस्थमा। इसके कारण बच्चों को न सिर्फ सांस लेने में तकलीफ होती है, बल्कि गले में लगातार घरघराहट भी होती है। ऐसी स्थिति में बच्चा परेशान हो जाता है। बच्चों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए लगातार शोध हो रहे हैं। कनाडा में हुआ शोध और निष्कर्ष इसी दिशा में प्रगति का संकेत है। कनाडा में शोधकर्ताओं की एक टीम ने कम उम्र के बच्चों में अस्थमा के जोखिम का पता लगाने के लिए एक स्क्रीनिंग टूल विकसित किया है। इसकी मदद से छोटे बच्चों में लक्षणों के आधार पर अस्थमा का पता पहले ही लगा लिया जायेगा। आइये इस शोध के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अस्थमा का पता लगाने वाला टूल
शोधकर्ताओं की एक टीम ने चाइल्ड कोहोर्ट स्टडी (CHILD) के साथ मिल कर कम उम्र के बच्चों में अस्थमा के जोखिम का पता लगाने के लिए इस रोग के लक्षण पर आधारित एक स्क्रीनिंग टूल विकसित किया है। इस टूल को चाइल्डहुड अस्थमा रिस्क टूल (Childhood Asthma Risk Tool or CHART) नाम दिया गया है। इस स्क्रीनिंग टूल का प्रयोग 2 साल की उम्र के बच्चों पर भी किया जा सकेगा। इसके प्रयोग और प्रभाव के बारे में सुप्रसिद्ध जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में भी प्रकाशित किया गया है।
टूल की सहायता से बच्चों के इलाज में आसानी होगी
दुनिया भर में लगभग 330 मिलियन लोगों को अस्थमा ने प्रभावित किया है। यह विशेष रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चे को अधिक प्रभावित करता है। अध्ययन में शामिल रेस्पिरोलॉजिस्ट और टोरंटो विश्वविद्यालय में बाल रोग विभाग में प्रोफेसर और मैकमास्टर विश्वविद्यालय में रेस्पिरोलॉजी और मेडिसिन में सहायक प्रोफेसर डॉ. पद्मजा सुब्बाराव के अनुसार, “इस स्थिति का पहले पता लग जाने पर डॉक्टर बच्चों का जल्द इलाज कर पाएंगे। इससे बच्चे कम पीड़ित हो पाएंगे।” अध्ययन में कहा गया है, “छोटे बच्चों में अस्थमा का अक्सर पता नहीं चलने का एक कारण यह है कि अधिकांश पारंपरिक अस्थमा परीक्षण करना मुश्किल होता है। इसमें समय लगता है। जांच करने के लिए ब्लड लेना पड़ता है। इसलिए रोगी और डॉक्टर दोनों उनसे बचना चाहते हैं।“
कैसे काम करेगा यह टूल
स्क्रीनिंग टूल चार्ट के अनुसार तीन साल की उम्र होने से पहले बच्चों पर जांच की जा सकेगी। इससे उन्हें भविष्य में होने वाले अस्थमा और उसके लक्षणों के जोखिम को हाई, मीडियम और लो लेवल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकेगा।
विकसित किए गये नए उपकरण की खूबी यह होगी कि इसका उपयोग डॉक्टरों या नर्सों द्वारा कम संसाधन वाली प्राथमिक देखभाल सेटिंग में भी किया जा सकेगा। इसमें किसी सूई का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसे ऑन-द-स्पॉट किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष उपकरण की भी आवश्यकता नहीं होगी। चाइल्ड स्टडी में टूल के लाभों को देखते हुए क्लिनिकल प्रैक्टिस में भी इसके उपयोग को मान्यता देने की दिशा में काम किया जा रहा है।”
अन्य मानक क्लिनिकल प्रोसेस की तुलना में टूल अधिक सटीक
अध्ययन में 2354 बच्चों पर परीक्षण किया गया और डेटा लागू किया गया। इस अध्ययन में बच्चों में अस्थमा के कारण होने वाली घरघराहट और इसके बाद होने वाली खांसी पर लगातार नजर रखी गई। साथ ही तीन साल या उससे कम उम्र में परेशानी होने पर अस्पताल के दौरे, अस्थमा की दवाओं के प्रयोग की भी जानकारी जुटाई गई। स्क्रीनिंग टूल चार्ट 91% सटीक जानकारी देने में सक्षम था। टूल यह भी बता पाया कि किस बच्चे को अस्थमा के प्रमुख लक्षण लगातार घरघराहट होने की परेशानी होगी।

यह पांच साल की उम्र तक के बच्चों के बारे में भी बताने में सक्षम था।
कुल मिलाकर लगातार घरघराहट, अस्थमा और जरूरी इलाज के बारे में बताने में अन्य मानक क्लिनिकल प्रोसेस की तुलना में यह चार्ट अधिक सटीक पाया गया। इसमें चिकित्सक मूल्यांकन और पारंपरिक अस्थमा परीक्षण को भी शामिल किया गया। इसे संशोधित अस्थमा भविष्यवाणी सूचकांक (Modified Asthma Predictive Index-MAPI ) के रूप में जाना जाता है।
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