हमारे घरों में पैकेट वाले दूध आते हैं। इसके बारे में हम यह सिर्फ जान पाते हैं कि दूध फुल क्रीम है या टोंड। पैकेट पर उल्लेख होने के कारण यह जानना भी आसान हो गया है कि दूध काउ मिल्क है या भैंस का दूध। पर ये जान पाना असंभव लगता है कि दूध देने वाले पशु ने चारा में घास खाई है या सिर्फ अनाज। पर क्या आप जानती हैं कि हाल में अमेरिका में हुआ यह रिसर्च बताता है कि घास खाने वाले पशु का दूध सिर्फ अनाज खाने वाले पशुओं की तुलना में अधिक पौष्टिक होता (Grass fed Cattle milk is more nutritious) है।
ग्रास फेड कैटल का दूध है ज्यादा पौष्टिक (Grass Fed Cattle Milk is more Nutritious)
अमेरिका के उलट भारतीय महानगरों में यह संभव नहीं लगता कि ग्राहक यह तय कर पायें कि वे ग्रास फेड कैटल का दूध लेंगे या ग्रेन फेड कैटल का। हालांकि ज्यादातर सोसायटियों के पास ग्रामीण इलाके भी होते हैं, जहां ग्रास फेड कैटल आसानी से दिख जाती हैं। हमें ग्रास फेड कैटल का दूध उपलब्ध हो सकता है या नहीं, इस पर हम बाद में बात करेंगे। फिलहाल हम जानते हैं कि हालिया रिसर्च ग्रास फेड कैटल के दूध के बारे में क्या कहती है।
क्या कहती है रिसर्च (Research)
मिनेसोट्टा युनिवर्सिटी में वर्ष 2021 में ग्रास फेड कैटल के दूध और ग्रेन फेड कैटल के दूध पर लंबे समय तक शोध किया गया। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि ग्रास फेड कैटल की डेयरी अधिक पौष्टिक होती है। इनमें विटामिन डी, ओमेगा 3 फैटी एसिड और ओमेगा 6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है।
इसमें हिपेटिक इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा देने वाले ओलिनोलीक एसिड और पामिटिक एसिड भी कम पाए गये उनकी तुलना में मकई और सोया जैसे अनाज खाने वाले पशुओं में इन पोषक तत्वों की कम मात्रा पाई जाती है। सोया गायों में पाचन समस्याओं को बढ़ाते हैं, जिसका प्रभाव उनके दूध का सेवन करने वाले इंसानों में भी देखा गया।
साथ ही में ग्रास फेड कैटल की डेयरी में हानिकारक सिंथेटिक हार्मोन, एंटीबायोटिक्स, जीएमओ या रासायनिक कीटनाशक अवशेष भी नहीं होते हैं।
सिंथेटिक ग्रोथ हार्मोन का सेवन है स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
यह सुनकर आप आशंका से भर जाएंगी। पर पैकेट वाले दूध स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं हो सकते हैं। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि डेयरी इंडस्ट्री में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए गायों को सिंथेटिक ग्रोथ हार्मोन जैसे आरबीजीएच (Recombinant Bovine Growth Hormone) दिया जाता है।

यह पशुओं के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। ग्रोथ हार्मोन के रूप में, यह डेवलपमेंट को उत्तेजित करता है। इसका मतलब यह है कि यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को भी प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है। शोध बताते हैं कि आरबीजीएच स्तन, प्रोस्टेट और पेट के कैंसर को बढ़ावा दे सकता है।
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