आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे, उपयोग और दुष्प्रभाव – Arogyavardhini Vati uses, benefits and side effect in Hindi
आरोग्यवर्धिनी वटी – Arogyavardhini Vati in hindi
दोस्तो आज हम इस आर्टिकल में आरोग्यवर्धिनी वटी ( Arogyavardhini Vati ) के बारे में जानने की कोशिश करेंगे. आरोग्यवर्धिनी वटी के बारे में आपको विस्तार से जानकारी देने की कोशिश करेंगे हमारे एक्सपर्ट. आज हम आरोग्यवर्धिनी वटी के उन सभी पहलू पर बात करेंगे, जिसको लोग गूगल पर बहुत अधिक मात्ररा सर्च करते हैं.
उस सामग्री की पूरी जानकारी लेने की कोशिश करते हैं. आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे, नुकसान, सेवन विधि, तासीर और बनाने की विधि. इन सभी पर विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे. बहुत से लोग इसके बारे में जानते तो है लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता है कि ये कैसे काम करता है.
आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है? – what is Arogyavardhini Vati in hindi
Arogyavardhini Vati एक आयुर्वेदिक औषधि है. जिसका निर्माण हमारे पूर्वजों के ग्रंथि के आधार पर किया जाता है. आरोग्यवर्धिनी वटी का निर्माण पतंजलि और बैद्यनाथ के अलावा और भी बहुत सी कंपनियो द्वारा किया जाता है. आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन बहुत सी बीमारियों में किया जाता है. ह्रदय रोग, पीलिया, कुष्ठ रोग, सूजन, बदहजमी, बुखार, एनीमिया एवं पाचन तंत्र से जुड़े रोग आदि में इसका सेवन किया जाता है.
इसके नाम की बात करे, तो इसके नाम का भी एक अर्थ होता है, इसका नाम संकृत के सब्द पे आधारित है, इसलिए बहुत से लोगो कि इसके नाम का मतलब भी नहीं पता होगा. इसके नाम का मतलब होता है, ऐसी दवा जो हमारे शरीर के शरीर की कमजोरी को दूर कर हमारी सेहत को मजबूत बनाता हो.
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आरोग्यवर्धिनी वटी एक तरह का रसायन है, जिसका सेवन करने से हमारे शरीर में बहुत से लाभ होते है. लेकिन इसका सेवन करने से पहले हमेशा डॉक्टर की देख रख में और सीमित मात्रा में करना चाहिए.
आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक द्रव्य – Arogyavardhini Vati ingredients in hindi
इसको बनाने में बहुत से घटक द्रव्य का इस्तेमाल किया जाता है. जो निम्नलिखित है.
- 1. शुद्ध पारा
- 2. शुद्ध गंधक
- 3. अभ्रक भस्म
- 4. लौह भस्म
- 5. ताम्र भस्म
- 6. हरे
- 7. बहेड़ा
- 8. आंवला
- 9. शुद्ध शिलाजीत
- 10. शुद्ध गुग्गलु
- 11. Chitrkamul छाल
- 12. कुटकी
- 13. नीम के पत्ते की रस
आरोग्यवर्धिनी वटी बनाने की विधि – Arogyavardhini Vati making vidhi
इसे बनाना बहुत आसान है. आज हम आपको आरोग्यवर्धिनी वटी को बनाने का तरीका बताएंगे. कि कैसे आप आसानी से इसको घर पर बना कर इसका सेवन कर सकते हैं. नीचे हम आपको अच्छी तरह से समझाने को कोशिश करेंगे.
आरोग्यवर्धिनी वटी बनाने के लिए सबसे पहले आपको सुद्ध पारा, गंधक, लौह भस्म, ताम्र भस्म, हरड़, बहेड़ा एक एक तोला तथा अमला 2 तोला, शिलाजीत 3 तोला, Guggulu 4 तोला, चित्रक मूल की छाल 4 तोला लेना है,
सबसे पहले इन सभी दवाइयों को आप सही से साफ सुथरा करके सूखा लें. उसके बाद इस सभी को सही से कूट लें या सही से पीस लें. उसके बाद आप इसे एक बर्तन में रख लें. उसके बाद पारा और गनधक को कजली के रूप में बना लें. उसके बाद जितने भी बचे हुए घटक है, सभी को उसमे मिला लें. उसके बाद इन सभी को एक अलग बर्तन में ढक के रख दें.
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उसके बाद आपको नीम के पत्ते के रस में Guggulu को 2 या 2 से अधिक दिन तक उसमे भिगों के रख दें. उसके बाद आपको Guggulu को अच्छी तरह से मसल लें. उसके बाद आप इसे एक सूती कपड़े से छान के किसी दूसरे बर्तन में रख दें.
उसके बाद इन सभी को एक बर्तन रख कर हल्के आंच में पकाए. और इसको तब तक घोटते रहे. जब तक यह अच्छी तरह यह बहुत अधिक गढ़ा ना हो जाए. उसके बाद इस मिश्रण को सूखने दें.
आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – Arogyavardhini Vati benefits in hindi
इस दवा का सेवन करने से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है. इसके अलावा यह नाड़ी शोधन और दिल को शक्ति प्रदान करती है. इसके अलावा यह और भी बहुत सी बीमारियों में भी इसका सेवन किया जाता है.
जिस व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर हो, उस व्यक्ति को इसका सेवन अवश्य करना चाहिए. इसके सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है. पाचन तंत्र मजबूत होने के कारण यह आपको कई प्रकार के बीमारियों से भी बचाता है. क्यूंकि बहुत सी बीमारियों का संबंध हमारे पेट से ही होता है. इस कारण अगर आपका पेट ठीक रहेगा, तो यह आपके शरीर को रोग मूक्त रखने में मदद करता है.
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एनीमिया के रोगियों को इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्यूंकि यह एनीमिया के रोग में भी बहुत फायदेमंद साबित होता है. इसके अलावा यह और भी बहुत से रोगों में लाभकारी रहता है. जैसे –
- 1. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी फायदेमंद होता है.
- 2. लिवर रोग में यह कारगर साबित होता है.
- 3. बहुत तरह के इन्फेक्शन में.
- 4. सूजन को ठीक करने में.
- 5. कुष्ठ रोग के लिए भी यह बहुत लाभकारी होता है.
- 6. लगातार हिचकी आने पर भी आप इसका सेवन कर सकते हैं.
- 7. जिस व्यक्ति को भूख नहीं लगती है या बहुत कम भूख लगती है, ऐसे व्यक्ति को इसका सेवन करना चाहिए.
- 8. मोटापा काम करने में भी यह बहुत लाभकारी होता है.
- 9. मूत्र रोग में भी यह बहुत लाभकारी होता है.
आरोग्यवर्धिनी वटी के नुकसान – Arogyavardhini Vati side effect in Hindi
- 1. आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन हमेशा डॉक्टर की देख रख में करना चाहिए.
- 2. अगर इसमें मौजूद किसी घटक से आपको एलर्जी है, तो उसका सेवन करने से बचना चाहिए या डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए.
- 3. इसे हमेशा बच्चो की पहुंच से दूर रखना चाहिए. क्यूंकि इसका सेवन बच्चो के लिए नुकसानदेह होता है.
- 4. इसका सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करना चाहिए. अधिक मात्रा मैं इसका सेवन नहीं करना चाहिए. इससे आपको फायदे कम और नुकसान ज्यादा ही सकता है.
आरोग्यवर्धिनी वटी सेवन विधि – Arogyavardhini Vati Sevan vidhi in Hindi
इसके सेवन करने की बात करे, तो आप इसका सेवन एक दिन में 2 बार कर सकते है. एक बार में आप 2 गोली मा सेवन कर सकते है. इसका सेवन हमेशा खाना खाने के बाद करना चाहिए. आप इसका सेवन दूध या हल्के गर्म पानी के साथ कर सकते है.
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आरोग्यवर्धिनी वटी के चिकित्सीय उपयोग – Arogyavardhini Vati uses in hindi
इसके चिकित्सीय उपयोग की बात करे, तो आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन बहुत से रोगों में किया जाता है. जो निम्नलिखित है.
- 1. एनीमिया
- 2. बदहजमी
- 3. बुखार
- 4. लिवर रोग
- 5. चर्म रोग
- 6. पीलिया
- 7. हेपेटाइटिस
- 8. तिल्ली का बढ़ना
- 9. पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या
आरोग्यवर्धिनी वटी का मूल्य – Arogyavardhini Vati price
आरोग्यवर्धिनी वटी किसी भी दवाई या हकीमी दुकान में यह आपको आसानी से मिल जाएगी. इसके अलावा आप इसे पतंजलि द्वारा निर्मित यह पतंजलि स्टोर से भी खरीद सकते हैं, और इसे आसानी से कोई भी खरीद सकता है. क्यूंकि इसका मूल्य भी बहुत कम है.
इसके एक डब्बे की कीमत 86 rupay है, जिसमे 40 गलियां रहती है. इसके अलावा आप इसे किसी भी ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. जैसे – फ्लिपकार्ट या अमेजन आदि. आरोग्यवर्धिनी वटी का निर्माण पतंजलि और बैद्यनाथ के अलावा और भी बहुत सारी कंपनियां करती हैं.
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आरोग्यवर्धिनी वटी के बारे में डॉक्टर से पूछे गए सवाल और उनके जवाब
Q1. आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन कितने दिनों तक करना चाहिए?
Ans : बीमारी के अनुसार इस दवा का सेवन किया जाता है. इसलिए इसका सेवन कितने दिनों तक करना चाहिए. यह कहना मुश्किल है. इसलिए आप जिस भी रोग में इसका सेवन कर रहे है. उस रोग के डॉक्टर से आप इसके सेवन के बार में जानकारी लें सकते है.
Q2. आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन कब करना चाहिए?
Ans : आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन खाना खाने के बाद करना चाहिए. इसका सेवन आप एक दिन में दो बार कर सकते है. सुबह और रात को आप खाना खाने के बाद दूध या हल्के गर्म पानी के साथ 2-2 गोली का सेवन कर सकते है.
Q3. क्या आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से मुझे इसकी लत लग सकती है?
Ans : आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन करने से इसकी लत नहीं लगती है, क्यूंकि यह पूरी तरह से सुरक्षित एक आयुर्वेदिक औषधि है, और आयुर्वेदिक दवाओं से लत लगने की सम्भावना बेहद कम होती है.
Q4. क्या आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन शराब के साथ किया जा सकता है?
Ans : नहीं. शराब के साथ आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे आपको नुकसान हो सकता है, क्यूंकि आयुर्वेदिक दवाओं का शराब के साथ लेने से यह हमारे शरीर पर रिएक्शन करता है.
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Q5. क्या आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन के बाद ड्राइविंग किया जा सकता है.
Ans : हां. आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन करने के बाद आप ड्राइविंग कर सकते हैं. इससे आपको किसी तरह की हानि नहीं होती है.
Q6. क्या आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन बच्चो के लिए सुरक्षित है?
Ans : नहीं. आरोग्यवर्धिनी वटी ( Arogyavardhini Vati ) का सेवन बच्चो को नहीं करना चाहिए. इससे उनको हानि पहुंच सकती है. इसलिए बच्चो को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए.
Q7. क्या आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन महिलाएं कर सकती है?
Ans : महिलाएं Arogyavardhini Vati का सेवन कर सकती है, लेकिन उनको आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. क्यूंकि स्तनपान कराने वाली महिला के लिए यह नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसके अलावा गर्भवती महिला को भी इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.
Q8. क्या आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन गुनगुने पानी के साथ किया जा सकता है?
Ans : हां. आरोग्यवर्धिनी वटी ( Arogyavardhini Vati ) का सेवन गुनगुने पानी के साथ किया जा सकता है. इससे आपको या आपके शरीर को किसी तरह की हानि नहीं होती है.
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