Yoga
पाचन तंत्र की बेहतरी के लिए करें कश्यप आसन – kasyapasana in Hindi – othershealth
Kasyapasana |
कश्यप आसन kasyapasana in Hindi
कश्यप आसन – हमारे पाचन तंत्र पर संपूर्ण शरीर का स्वास्थ्य टिका होता है. इसे दुरुस्त रखने में कश्यप आसन अत्यंत उपयोगी है. इस आसन से पेट के भीतरी अंगों की अच्छी मालिश हो जाती है और बड़ी आंत ठीक से काम करने लगती है. पाचन तंत्र में रक्त संचार तेज होने से पेट के अंग सक्रिय होते हैं.
यह आसन प्रजापति ब्रह्मा के पौत्र और मरीचि के पुत्र कश्यप ऋषि के नाम पर है. इसे अर्थबदपदम वशिष्ठा आसन के नाम से भी जाना जाता है. इस आसन से पेट के भीतरी अंगों की अच्छी मालिश हो जाती है और बड़ी आंख ठीक से काम करने लगती है.
जिससे बदहजमी दूर होती है. इससे शरीर में संतुलन स्थापित होता है. पूरा स्नायु तंत्र अत्यंत सहज हो जाता है.
आसन विधि
दोनों पैरों को साथ साथ रखते हुए खड़े हो. सांस भरते हुए शरीर का भार पंजो पर डालें और एड़ियों को ऊपर उठाएं. दोनों हाथों की उंगलियों से इंटरलॉक बनाकर हाथों को ऊपर ले जाएं और तानें.
इस दौरान हथेलियों की दिशा ऊपर की ओर रहे. इस अवस्था में पेट को यथासंभव अंदर की ओर रखते हुए घुटने और जांघ की मांसपेशियों को ऊपर की ओर खींचें. अब श्वास छोड़ते हुए आगे झुके और दोनों हथेलियों को जमीन पर टिका दें.
फिर अपने पैरों को पीछे ले जाकर दाएं घूम जाए और दाईं हथेली जमीन पर टिका दें. ताकि पूरे शरीर का भार दाहिने हाथ पर आ जाए. अब सांस भरते हुए बाएं पैर का पंजा दाहिनी जांग के ऊपर रखें.
यानी अर्धपद्मासन जैसा पोज बनाएं. कुछ देर बाद सांस छोड़ते हुए और बाएं हाथ को पीठ की तरफ से लाते हुए बाएं पैर के पंजे को पकड़े. इस स्थिति में 5 से 10 बार धीमी लंबी गहरी सांस लें और छोड़ें.
जितनी देर संभव हो, इस स्थिति में रुकने के बाद सांस बाहर निकालते हुए पंजे को छोड़ दें. बाएं पैर को सीधा कर ले. बाएं हाथ को बाएं जंघा पर रखें और धीरे-धीरे मूल अवस्था में लौट आए. अब कुछ सेकंड के विश्राम के बाद यह प्रक्रिया दूसरी तरफ से भी दोहराए.
सावधानी
एक बार में दोनों ओर से एक-एक बार ही आसन को करना उचित है. कलाई, कोहिनी और कंधे के जोड़ों में कोई परेशानी हो, तो इसे ना करें.
सजगता
पूरी प्रक्रिया के दौरान आपका ध्यान नाभि पर रहे. जिन्हें एक पद राजकपूतआसन, आञ्जनेयरआसन, गोमुखासन और उप्स्ट कोणासन करने का अच्छा अभ्यास है, उनके लिए कश्यप आसन करना बहुत आसान हो जाता है.
कश्यप आसन के लाभ
इस आसन के नियमित अभ्यास से मन का भटकाव रुकता है और एकाग्रता बढ़ती है. पाचन तंत्र में रक्त संचार तेज होने से पेट के अंग सक्रिय होते हैं. पीठ की जकड़न समाप्त होती है और रीढ़ तथा कमर लचीली बनती है.
इससे उसे मनो वंचित तरीके से मोड़ना सहज होता है. हाथों और पैरों की ताकत बढ़ती है. कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती है. कंधे चौड़े होते हैं. पूरे नाड़ी तंत्र में संतुलन स्थापित होता है. यह घुटनों का लचीलापन बढ़ाने में सहायक है.
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